Wednesday, January 13, 2010

मधुशाला - हरिवंश राय बच्चन

अभी अमिताभ बच्चन जी की आवाज़ में मधुशाला की कुछ पंक्तिया Youtube पर सुनी | बहुत ही उत्तम रचना है और अमित जी की आवाज़ में सुनकर बहुत ही अच्छा लगा | पेश हैं मधुशाला की कुछ पंक्तिया |


अपने युग में सबको अनुपम ज्ञात हुई अपनी हाला (wine),
अपने युग में सबको अदभुत ज्ञात हुआ अपना प्याला,
फिर भी वृद्धों से जब पूछा एक यही उत्तर पाया -
अब न रहे वे पीनेवाले, अब न रही वह मधुशाला ! - ।१२५।

एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,
दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला ! - ।२६।

मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला ! - ।५०।

यम आयेगा साकी (मदिरालय में मदिरा बांटने वाला) बनकर साथ लिए काली हाला,
पी न होश में फिर आएगा सुरा-विसुध यह मतवाला,
यह अंतिम बेहोशी, अंतिम साकी, अंतिम प्याला है,
पथिक, प्यार से पीना इसको फिर न मिलेगी मधुशाला ! - ।८०।

मेरे अधरों पर हो अंतिम वस्तु न तुलसीदल प्याला,
मेरी जीव्हा पर हो अंतिम वस्तु न गंगाजल हाला,
मेरे शव के पीछे चलने वालों याद इसे रखना,
राम नाम है सत्य न कहना, कहना सच्ची मधुशाला ! - ।८२।

मेरे शव पर वह रोये, हो जिसके आंसू में हाला
आह भरे वो, जो हो सुरिभत मदिरा पी कर मतवाला,
दे मुझको वो कान्धा जिनके पग मद डगमग होते हों
और जलूं उस ठौर (जगह) जहां पर कभी रही हो मधुशाला ! - ।८३।

और चिता पर जाये उंढेला पात्र न घ्रित का, पर प्याला,
कंठ बंधे अंगूर लता में मध्य न जल हो, पर हाला,
प्राण प्रिये यदि श्राद्ध करो तुम मेरा तो ऐसे करना,
पीने वालों को बुलवा कऱ खुलवा देना मधुशाला ! - ।८४।


Video : Youtube
मधुशाला सम्पूर्ण : मधुशाला

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